प्रदर्शन करने वालो की सम्पति जब्त करना गैरकानूनी

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर लगातार योगी सरकार असंवैधानिक कार्यवाई करती नज़र आ रही है। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों की संपत्ति जब्त करने का अधिकार आईपीसी नहीं देता। योगी सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर संपत्ति जब्त करने की कार्यवाही अवैध है। हालांकि आईपीसी की धारा 147 के तहत अगर कोई उपद्रव करने का दोषी होता है तो उसे जेल भेजने का प्रावधान है या फिर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है। परंतु आईपीसी में यह कहीं नहीं लिखा कि बिना सुनवाई के किसी भी व्यक्ति  को  मनमाने तरीके से संपत्ति जब्त की जाए। इसलिए यूपी कि पूरी कार्यवाही मेरी नज़रो में अवैध व गलत है।


मुज़फ्फरनगर में योगी सरकार द्वारा 50 दुकानें व लखनऊ,  समेत कई जिलों में लोगों की संपत्ति सील करना अवैध है क्योकि यह सब कोर्ट के आदेश के बिना हो रहा है। जबकि यूपी सरकार खुद ही कानून बनाकर 1933 के जर्मन रीचस्टैग अधिनियम की याद दिलाता है जिसने हिटलर को संसद की अनुमति के बिना कानून बनाने की इजाज़त दे दी थी। यदि भारतीय न्यायपालिका इसको नहीं रोकती है तो भारत में जल्द ही नाज़ी युग शरू हो जाएगा। वर्तमान के हालात को देखकर तो यही लगता है की सुप्रीम कोर्ट भीष्म पितामह की तरह आँख बंद किये हुए है ठीक वैसे जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था।


आपको बता दें कि यूपी में योगी सरकार ने मनमाने ढंग से कार्यवाई करते हुए अब तक बहुत सारे लोगो को लाखों रूपए के नोटिस थमा दिए हैं जिसकी भरपाई के लिए उनकी संपत्ति भी अब जब्त की जा रही है।